पप्र -
ग्यारह वाक्य जिसके द्वारा इच्छायें पूर्ण होती हैं- [जैसा पंक्ति संख्या 1 से 8 तक लिखा है बिलकुल वैसा ही मन में बोलना है। पंक्ति 9,10 एवं 11 आप अपनी मातृभाषा में बोल सकते है ]
- परमं शरणं गच्छामि
- हंसं शरणं गच्छामि
- अद्वैतं शरणं गच्छामि
- आनंदम शरणं गच्छामि
- चरणं शरणं गच्छामि
- हे परमजी
- मुझ पर कृपा करो
- सिर झुककर परमजी को नमस्कार करता हूँ / करती हूँ
- अपनी कोई एक इच्छा मन में बोले
- इच्छा पूर्ण होते ही पकर में एक रूपया / सौ रूपया परमजी को दूंगा / दूंगी [राशि इच्छा के अनुरूप ही देना हैं]
- इच्छा पूर्ण होते ही पकर में एक नए व्यक्ति / दस नए व्यक्तियों को किसी भी माध्यम से P3Y सिखाऊंगा / सिखाऊंगी [प्रचार की संख्या इच्छा के अनुसार]
नोट–पंक्ति 10 एवं 11 में दिए गए राशि अथवा प्रचार कार्य पूर्ण होने के बाद ही करना।